नई दिल्ली। मेरठ, उत्तर प्रदेश के अब्दुल्लापुर बाजार की एक शिव मंदिर के पुजारी के रूप में कार्यरत साधु कांति प्रसाद जी की धर्मांध मुसलमान युवकों ने दिनदहाडे हत्या की। हिन्दू जनजागृति समिति इस हत्या का तीव्र शब्दों में निषेध की है।
Meerut boiled over the killing of a Hindu monk
बताया जा रहा है कि साधु की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि उसने भगवा रंग का गमछा पहना हुआ था।
साधु की हत्या के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और लोग साधु के शव को सड़क पर रखकर प्रर्दशन कर रहे हैं।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसे जेल में डाल दिया है।
पुलिस फिलहाल मामले को शांत कराने की पूरी कोशिश कर रही है।
हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा कि साधु कांति प्रसादजी ने भगवा वस्त्र परिधान किया था। इसलिए अनस कुरैशी नामक धर्मांध ने उनका उपहास कर विरोध किया। इस धर्मांध ने निर्ममता से मार-पीटकर साधु की हत्या कर डाली। इससे ध्यान में आता है कि हिन्दु बहुल भारत में भगवा वस्त्र परिधान करनेवालों को जानबूझकर लक्ष्य किया जा रहा है। हम इसे साधु पर नहीं, अपितु भगवे एवं हिन्दू धर्म पर आक्रमण मानते हैं।
शिंदे ने कहा कि इससे धर्मांधों का हिन्दूद्वेष और भगवा द्वेष ही दिखाई देता है। अनस कुरैशी की गिरफ्तारी हुई है, परंतु उस पर द्रुतगति (फास्ट ट्रॅक) न्यायालय में तुरंत अभियोग चलाकर उसे कठोर दंड दिया जाए तथा इस घटना के पीछे जानबूझकर धार्मिक कलह निर्माण करने का षडयंत्र तो नहीं है न, इसकी भी जांच हो।
उन्होंने कहा कि इससे पहले पालघर, बुलंदशहर, नांदेड और अब मेरठ, इस प्रकार से साधुओं का हत्यासत्र जारी है । इन घटनाओं के कारण हिन्दू समाज में क्रोध एवं आक्रोश है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटना यदि मुसलमान अथवा अन्य समाज से संबंधित व्यक्ति के साथ घटी होती, तो अब तक धर्मनिरपेक्षतावादियों ने ‘मॉब लिंचिंग’ कहते हुए पूरा देश सिर पर उठा लिया होता और हिन्दुत्व को बदनाम किया जाता। परंतु अभी मृत व्यक्ति हिन्दू साधु है तथा मारनेवाला मुसलमान, इसीलिए एक भी आधुनिकतावादी नेता ने अब तक इस घटना का निषेध नहीं किया है। यह भारतीय धर्मनिरपेक्षता की हार है।
शिंदे ने आशा व्यक्त की है कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साधुओं की हत्याओं के षड्यंत्रकारियों को ढूंढकर हिन्दुओं को न्याय दिलाएंगे।